जैसा की आप सब जानते ही है की आज 14 फरवरी है और हर साल 14 फरवरी को देशभर में कपल अपने प्यार का इजहार करते है और एक दूसरे को गिफ्ट देते है। जिसे दूसरी भाषा में प्रेम दिवस भी कहा जाता है। लेकिन महान आचार्य चाणक्य ने प्रेम करने वालो के लिये अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में काफी कुछ कहा है। जिससे प्रेमियों के बीच के रिश्तो में काफी मिठास आती है। तो आखिर चाणक्य ने अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में दो प्रेम करने वालो के बारे में क्या लिखा है? जानते है आज के अपने इस आर्टिकल में विस्तार से।
प्रेम के भाव में कभी भी कमी नहीं आने देना
चाणक्य ने अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में कहा है की किसी भी प्रेम में मिठास और अपनापन तब तक नहीं आता है। जब तक प्रेमी करने वाले एक दूसरे के प्रति वफादार ना हो। किसी भी रिश्ते में तब तक प्रेम का भाव नहीं आ आता है। जब तक दो प्रेमी करने वालो के बीच अपनत्व और समर्पण की भावना उत्पन्न ना हो। इसलिए दो प्रेम करने वालो के बीच अगर रिश्ते को मजबूत बनाये रखना है तो दोनों को अपने प्रेम के भाव में कभी भी कमी नहीं आने देनी चाहिए।
एक दूसरे के प्रति विश्वास बनाये रखना बेहद जरूरी है।
चाणक्य नीति में लिखा गया है की रिश्तो में विश्वास होना अत्यंत आवश्यक है। बिना विश्वास प्रेम एक कच्चे धागे की तरह होता है जों पल भर में कभी भी टूट सकता है। इसलिए दो प्रेम करने वालो के बीच विश्वास का होना बहुत ही जरूरी है। अगर आप किसी से प्रेम करते है। तो उसके विश्वास को कभी मत तोड़िये। क्यूंकि दो प्रेम करने वालो के बीच का रिश्ता विश्वास पर ही टिका होता है। अगर एक का विश्वास दूसरे के प्रति कम होता है तो वह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चलता है।
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क्रोध पर काबू करना चाहिए
चाणक्य ने अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में कहा है की कभी भी दो प्रेम करने वालो के बीच क्रोध नहीं आना चाहिए। क्यूंकि क्रोध एक ऐसी चीज है जों सब कुछ तबाह कर देती है। क्रोध में इंसान का अपने ऊपर कोई वश नहीं होता है और वह क्रोध में इतना गलत कदम उठा लेता है की उसे पता ही नहीं होता की उसने क्रोध में कितना बड़ा गलत कदम उठाया है और जब तक क्रोध करने वाले को अपने ऊपर पछतावा होता है। तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
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एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना रखनी चाहिए
चाणक्य नीति के अनुसार दो प्रेम करने वालो को हमेशा एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। कभी भी एक दूसरे की कमियों को उजागर नहीं करना चाहिए और ना ही अपने पार्टनर से अपने आप को श्रेष्ठ मानना चाहिए। यह रिश्तो को तोड़ने में सबसे बड़ी भूमिका निभाती है। इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है की दो प्रेम करने वालो के बीच एक दूसरे के प्रति सम्मान होना बेहद ही जरूरी है।