Sahara India Refund News Today: सहारा इंडिया को आयोग ने दिये भुगतान के आदेश
सहारा इंडिया का नाम आज के समय में हर किसी की जुबान पर है। क्यूंकि सुब्रतो रॉय की कंपनी सहारा इंडिया ने कुछ साल पहले लाखो लोगों के करोड़ों रूपए का घपला कर दिया था। जिसकी वजह से सहारा कंपनी दिवालिया हो गयी है। लेकिन लोग आज भी अपने पैसों की आस लगाए हुए है और अब तक निवेशकों को सिर्फ मायूसी ही हाथ लगी है। इसी को देखते हुए सहारा इंडिया आयोग ने दिये भुगतान के आदेश। जानते है इसके बारे में विस्तार से
सहारा को दिया आदेश जल्द करें भुगतान
आपको तो पता ही है की आज के समय अगर कोई सबसे बड़ा विवाद है तो वो है सहारा चिट फंड विवाद। जो लगभग 12 सालो से चल रहा है ओर लोग अपने पैसो की आस अब तक लेकर बैठे है। उन्हें उम्मीद है की आज नहीं तो कल उनके सहारा चिट फंड में फंसे पैसे मिलेंगे और इसके लिये वो हर संभव प्रयास भी कर रहे है। लेकिन फिर भी वह लोग अपने पैसे हासिल नहीं कर पा रहे है।
इसके लिये वो अपने अपने राज्य और क्षेत्र में सहारा इंडिया के ऑफिस में जाकर धरना प्रदर्शन भी कर रहे है अपने क्षेत्र और राज्य के अधिकारियों से भी इस सिलसिले को लेकर मिल रहे है। लेकिन मामला जैसा था आज भी वैसा ही है। लेकिन हाल ही में बिकनोर राजस्थान के रहने वाले परिवादिया सुमन सेवाग को कोर्ट की तरफ से सहारा इंडिया आयोग को भुगतान के आदेश देने का ऐलान किया है।
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देरी करने पर कंपनी को देना है 12% की दर से ब्याज का भुगतान
आपकी जानकारी के लिये हम आपको बता दे की बिकनोर राजस्थान के रहने वाले परिवादिया सुमन सेवाग ने वर्ष 2003 में सहारा में बचत खाता खुलवाया था। जिसकी जमा की गयी राशि के ऊपर वर्ष 2018 में उन्हें 30 हजार रूपए का भुगतान किया जाना था। लेकिन सहारा ने उन्हें पैसों की एफडी करने पर जोर दिया। जबकि परिवादिया ने इसके लिये मना कर दिया था। लेकिन कंपनी ने अपनी आर्थिक स्तिथि का हवाला देकर परिवादिया के मना करने पर भी उन्हें 15 हजार रूपए लौटा दिये और बाकी के बचे 15 हजार रूपए को 18 महीनों के लिये एफडी कर दी।
कंपनी का कहना था की वर्ष 2019 तक उनका पैसा उन्हें ब्याज सहित मिल जायेगा। लेकिन उन्हें अब तक उनके एफडी के पैसे नहीं मिले। जब यह मामला कोर्ट में गया तो कोट ने सहारा को आदेश दिये की परिवादिया एफडी किये गए पैसों पर 9% की दर से ब्याज दिया जाये और अगर इसमें किसी भी प्रकार की देरी होती है तो तब 12% की दर से कंपनी को ब्याज चुकाना होगा।