उच्चतम न्यालय द्वारा सोमवार को भारतीय विनियामक (Pentioners) और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा सहारा लाइफ के तहत लगभग 2 लाख पॉलिसियों के स्थान्तरित करने के बीमा नियामक के फैसले पर रोक लगाने की प्रतिभूति अपीलीय न्यायधिकरण (SAT) के आदेश की चुनौती देने वाली याचिका पर तुरंत सुनवाई से इंकार कर दिया SBI Life को नियामक की और से Soliciter Genral तुषार मेहता ने Justice सूर्यकांत और एमएम सुंदरेश के Vacation Bench को यह बताया की IRDAI ने 2 जून को पालिसी को SBI में स्थांतरित करने का निर्देश दिया था क्योकि सहारा इंडिया लाइफ Insurance कंपनी इन दिनों आर्थिक वित्तीय और शासन सम्बन्धी मुद्दों का सामना कर रही है और यह अपनी बिगड़ते आर्थिक वित्तीय स्थिति को देखते हुए नियामक के निर्देशों का पालन करने में असमर्थ रहा |
मेहता द्वारा कहा गया की सहारा Policies को SBI में स्थानांतरित करने के (IRDAI) के आदेश पर रोक ने एक अंतराल पैदा कर दिया है इस अंतराल के कारण पॉलिसीधारको के बीच एक भ्रम सा पैदा हो गया है इस अंतराल के बीच भुगतान किये गए प्रीमियम कौन प्राप्त करेगा और साथ ही दावों के साथ परिपक़्व होने वाली पालिसी के भुगतान भी |
हालांकि Bench ने कहा है मौद्रिक Claim से सम्बंधित मुद्दों के बाद Sc अपने कार्य को Schedule में लाने के लिए इंतज़ार करना पड़ सकता है क्योकि Summer Vacation के बाद अब IRDAI के पोस्ट की सुनवाई अब 3 जुलाई के बाद होगी |
पिछले हफ्ते SAT ने स्थानांतरण की नीतियों पर रोक लगा दी थी सहारा ने SBI से यह भी कहा था की हम आपको अलग नहीं कर रहे है बल्कि आपको स्थानांतरित कर रहे है
जबकि IRDA ने पहले पूर्व में अपने आदेश 23 जून 2017 द्वारा सेवा करने के लिए निर्देशित और लगातार मौजूदा पॉलिसीधारको और कलेक्ट Renewal का अधिकार शामिल किया था, जबकि 2 जून IRDA ने कहा की सहारा लाइफ फरवरी 2004 में दिया हुआ Granted बीमा लाइसेंस नहीं ले पाए और पॉलिसीधारक हितो की रक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठा पाए और पॉलिसीधारक को पर्याप्त अवसर और समय दिए जाने पर भी, बढ़ते घाटों के कारण बीमाकर्ता की वित्तीय स्थिति ख़राब हो रही थी |
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